लोगों की राय

अमर चित्र कथा हिन्दी >> अर्जुन की कथाएँ

अर्जुन की कथाएँ

अनन्त पई

प्रकाशक : इंडिया बुक हाउस प्रकाशित वर्ष : 2006
पृष्ठ :31
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 4786
आईएसबीएन :81-7508-481-2

Like this Hindi book 1 पाठकों को प्रिय

440 पाठक हैं

महाभारत के श्रेष्ठ धनुर्धर अर्जुन की कथाओं का वर्णन

Arjun Ki Kathayein -A Hindi Book by Anant Pai - अर्जुन की कथाए - अनन्त पई

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

अर्जुन की कथाएँ

महाभारत के नायक अर्जुन का नाम वीरता और पराक्रम का पर्यायवाची बन गया है। अर्जुन जन्म-जात योद्धा थे। उनमें बल, साहस और एकाग्रता का अभूतपूर्व संगम था।
अर्जुन कृष्ण के प्रति उतनी ही श्रद्धा रखते थे जितनी हनुमान राम के प्रति। इस संग्रह की पहली कथा, जो दक्षिण भारत में प्रचलित एक लोक कथा पर आधारित है, अर्जुन और हनुमान की भेंट के विषय में है। दोनों को अंत में यह ज्ञात हो जाता है कि कृष्ण और राम एक ही हैं।
अर्जुन को धनुर्विद्या में प्रवीण गुरु द्रोणाचार्य से शिक्षा मिली थी। उन्होंने अनेक देवताओं को प्रसन्न कर बहुतेरे शस्त्रास्र्त्र प्राप्त किये थे, परन्तु उनको अजेय बनाने का श्रेय उनके गाण्डीव धनुष को है। उन्हें गाण्डीव अग्निदेव से मिला था।
अर्जुन और उनके ममेरे भाई कृष्ण अभिन्न मित्र थे। अर्जुन सदैव कृष्ण से परामर्श करते थे। कुरुक्षेत्र के युद्ध में कृष्ण अर्जुन के सारथी बने थे।
फिर भी, कुछ अवसरों पर अर्जुन दम्भी और अहंकारी हो जाते थे। तो कहानी में यह दर्शाया जाता है कि किस प्रकार कृष्ण ऐसे अवसरों पर उन्हें कोमलतापूर्वक किन्तु दृढ़ता के साथ ठीक राह पर ले आते थे।


अर्जुन, वानर और बालक


एक बार अर्जुन देश के विभिन्न तीर्थस्थानों की यात्रा करते हुए रामेश्वरम् * पहुँचे।
और वह रहा पुल जो राम ने वानरों की सहायता से निर्मित किया था।
वानरों की सहायता से ? किन्तु, उनके जैसे निपुण धनुर्धारी को वानरों की आवश्यकता क्यों हुईं ?
वे स्वयं बाणों का पुल बना सकते थे। फिर उन्होंने ऐसा क्यों नहीं किया ?


प्रथम पृष्ठ

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book

A PHP Error was encountered

Severity: Notice

Message: Undefined index: mxx

Filename: partials/footer.php

Line Number: 7

hellothai